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9th Class - Hindi Kshitij | Chapter: उपभोक्तावाद की संस्कृति MCQs

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(A) उपभोग-भोग ही सुख है
(B) मस्त रहना ही सुख है
(C) संयमित जीवन में ही सुखा है
(D) प्रभु भक्ति में ही सुख है
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(A) राजनीतिक दासता
(B) सांस्कृतिक दासता
(C) बौद्धिक दासता
(D) सामंती दासता
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(A) आध्यात्मिक संस्कृति
(B) अनुकरण की संस्कृति
(C) पारिवारिक संस्कृति
(D) वैचारिक संस्कृति
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(A) विज्ञान और प्रसार के सूक्ष्म तंत्र
(B) आध्यात्मिकता के तंत्र
(C) सम्मोहन के सूक्ष्म तंत्
(D) प्रतिष्ठित दिखाने के तंत्र
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(A) विदेशी उपनिवेश के लिए
(B) लघु उद्योगों के लिए
(C) स्वस्थ सांस्कृतिक प्रभावों के लिए
(D) इनमें से कोई नहीं
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(A) संज्ञा
(B) सर्वनाम
(C) विशेषण
(D) क्रिया विशेषण
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(A) रीतिवाचक क्रिया विशेषण
(B) स्थानावाचक क्रिया विशेषण
(C) परिमाण वाचक क्रिया विशेषण
(D) कालवाचक क्रिया विशेषण
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(A) अपनी शर्तों पर
(B) अपनी बुनियाद पर
(C) अपने स्वार्थ पर
(D) अपने सम्मान पर
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(A) अमेरिका के
(B) यूरोप के
(C) पाश्चात्य संस्कृति के
(D) विज्ञापन कम्पनी के
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(A) परम्पराओं का अवमूल्यन हुआ है
(B) परम्पराओं का निर्वाह हुआ है
(C) परम्पराओं का लोप हो गया है
(D) हम उन्हीं परम्पराओं पर चल रहे हैं
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(A) पाश्चात्य
(B) पूर्वी
(C) पौराणिक
(D) सामंती
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(A) पुरातन
(B) पूर्वी
(C) नूतन
(D) इनमें से कोई नहीं
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(A) मानव और संस्कृति
(B) संस्कृति के चार अध्याय
(C) संस्कृति तथ शिक्षा
(D) समय और संस्कृति
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(A) 1922 में
(B) 1942 में
(C) 1992 में
(D) 1995 में
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Q15) सामंती संस्कृति के तत्त्व मारत में पहले भी रहे हैं। उपभोक्तावाद इस संस्कृति से जुड़ा रहा है। आज सामंत बदल गये हैं, सामंती संस्कृति का मुहावरा बदल गया है। हम सांस्कृतिक अस्मिता की बात कितनी ही करें, परंपराओं का अवमूल्यन हुआ है, आन्याओं का सरण हआ है। कड़वा सच तो यह है कि हम बौद्धिक दासता स्वीकार कर रहे हैं। पश्चिम के सांस्कृतिक उपनिवेश बन रहे हैं। हमारी नयी संस्कृति अनुकरण की संस्कृति है। हम आधुनिकता के शूठे प्रतिमान अपनाते जा रहे हैं। प्रतिष्ठा की अंधी प्रतिस्पर्धा में जो अपना है, उत्ते खोकर छद्म आधुनिकता की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। संस्कृति की नियंत्रण शक्तियों के क्षीण हो जाने के कारण हम दिग्भ्रमित हो रहे हैं। हमारा समाज ही अन्य निर्देशित होता जा रहा है। विज्ञापन और प्रसार के सूक्ष्म तंत्र हमारी मानसिकता बदल रहे हैं। उनमें सम्मोहन की शक्ति है, वशीकरण की भी।

सामंती संस्कृति एवं उपभोक्ताओं में क्या संबंध है?

(A) सागंती संस्कृति से ही उपभोक्ता संस्कृति उत्पन्न हुई
(B) उपभोक्तावाद ने सामंती संस्कृति को जन्म दिया
(C) उपभोक्ताबाद के बिना सामंती संस्कृति टिक नहीं पाती।
(D) सामंती संस्कृति और उपभोक्तावाद में कोई अंतर नहीं है
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Q16) सामंती संस्कृति के तत्त्व मारत में पहले भी रहे हैं। उपभोक्तावाद इस संस्कृति से जुड़ा रहा है। आज सामंत बदल गये हैं, सामंती संस्कृति का मुहावरा बदल गया है। हम सांस्कृतिक अस्मिता की बात कितनी ही करें, परंपराओं का अवमूल्यन हुआ है, आन्याओं का सरण हआ है। कड़वा सच तो यह है कि हम बौद्धिक दासता स्वीकार कर रहे हैं। पश्चिम के सांस्कृतिक उपनिवेश बन रहे हैं। हमारी नयी संस्कृति अनुकरण की संस्कृति है। हम आधुनिकता के शूठे प्रतिमान अपनाते जा रहे हैं। प्रतिष्ठा की अंधी प्रतिस्पर्धा में जो अपना है, उत्ते खोकर छद्म आधुनिकता की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। संस्कृति की नियंत्रण शक्तियों के क्षीण हो जाने के कारण हम दिग्भ्रमित हो रहे हैं। हमारा समाज ही अन्य निर्देशित होता जा रहा है। विज्ञापन और प्रसार के सूक्ष्म तंत्र हमारी मानसिकता बदल रहे हैं। उनमें सम्मोहन की शक्ति है, वशीकरण की भी।

हमने कैसी दासता स्वीकार कर ली है?

(A) आर्थिक दासता
(B) सांस्कृतिक दासता
(C) बौद्धिक दासता
(D) वैचारिक दासता
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Q17) सामंती संस्कृति के तत्त्व मारत में पहले भी रहे हैं। उपभोक्तावाद इस संस्कृति से जुड़ा रहा है। आज सामंत बदल गये हैं, सामंती संस्कृति का मुहावरा बदल गया है। हम सांस्कृतिक अस्मिता की बात कितनी ही करें, परंपराओं का अवमूल्यन हुआ है, आन्याओं का सरण हआ है। कड़वा सच तो यह है कि हम बौद्धिक दासता स्वीकार कर रहे हैं। पश्चिम के सांस्कृतिक उपनिवेश बन रहे हैं। हमारी नयी संस्कृति अनुकरण की संस्कृति है। हम आधुनिकता के शूठे प्रतिमान अपनाते जा रहे हैं। प्रतिष्ठा की अंधी प्रतिस्पर्धा में जो अपना है, उत्ते खोकर छद्म आधुनिकता की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। संस्कृति की नियंत्रण शक्तियों के क्षीण हो जाने के कारण हम दिग्भ्रमित हो रहे हैं। हमारा समाज ही अन्य निर्देशित होता जा रहा है। विज्ञापन और प्रसार के सूक्ष्म तंत्र हमारी मानसिकता बदल रहे हैं। उनमें सम्मोहन की शक्ति है, वशीकरण की भी।

हम किस संस्कृति का अनुकरण कर रहे हैं?

(A) पूर्वी संस्कृति
(B) अविकसित संस्कृति
(C) भारतीय संस्कृति
(D) पाश्चात्य संस्कृति
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Q18) सामंती संस्कृति के तत्त्व मारत में पहले भी रहे हैं। उपभोक्तावाद इस संस्कृति से जुड़ा रहा है। आज सामंत बदल गये हैं, सामंती संस्कृति का मुहावरा बदल गया है। हम सांस्कृतिक अस्मिता की बात कितनी ही करें, परंपराओं का अवमूल्यन हुआ है, आन्याओं का सरण हआ है। कड़वा सच तो यह है कि हम बौद्धिक दासता स्वीकार कर रहे हैं। पश्चिम के सांस्कृतिक उपनिवेश बन रहे हैं। हमारी नयी संस्कृति अनुकरण की संस्कृति है। हम आधुनिकता के शूठे प्रतिमान अपनाते जा रहे हैं। प्रतिष्ठा की अंधी प्रतिस्पर्धा में जो अपना है, उत्ते खोकर छद्म आधुनिकता की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। संस्कृति की नियंत्रण शक्तियों के क्षीण हो जाने के कारण हम दिग्भ्रमित हो रहे हैं। हमारा समाज ही अन्य निर्देशित होता जा रहा है। विज्ञापन और प्रसार के सूक्ष्म तंत्र हमारी मानसिकता बदल रहे हैं। उनमें सम्मोहन की शक्ति है, वशीकरण की भी।

हमारी मानसिकता का कौन-सा तंत्र बदल रहा है?

(A) प्रजातंत्र
(B) राजतंत्र
(C) विज्ञापन तंत्र
(D) आधुनिक तंत्र
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Q19) सामंती संस्कृति के तत्त्व मारत में पहले भी रहे हैं। उपभोक्तावाद इस संस्कृति से जुड़ा रहा है। आज सामंत बदल गये हैं, सामंती संस्कृति का मुहावरा बदल गया है। हम सांस्कृतिक अस्मिता की बात कितनी ही करें, परंपराओं का अवमूल्यन हुआ है, आन्याओं का सरण हआ है। कड़वा सच तो यह है कि हम बौद्धिक दासता स्वीकार कर रहे हैं। पश्चिम के सांस्कृतिक उपनिवेश बन रहे हैं। हमारी नयी संस्कृति अनुकरण की संस्कृति है। हम आधुनिकता के शूठे प्रतिमान अपनाते जा रहे हैं। प्रतिष्ठा की अंधी प्रतिस्पर्धा में जो अपना है, उत्ते खोकर छद्म आधुनिकता की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। संस्कृति की नियंत्रण शक्तियों के क्षीण हो जाने के कारण हम दिग्भ्रमित हो रहे हैं। हमारा समाज ही अन्य निर्देशित होता जा रहा है। विज्ञापन और प्रसार के सूक्ष्म तंत्र हमारी मानसिकता बदल रहे हैं। उनमें सम्मोहन की शक्ति है, वशीकरण की भी।

सांस्कृतिक के संस्कृति में इक प्रत्यय जुड़ा है। निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द इक प्रत्यय युक्त नहीं है।

(A) दैनिक
(B) भौतिक
(C) पाठक
(D) मानसिक
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