प्रत्येक ठोस अवयवी कणों से मिलकर बनता है। ये अवयवी कण अणु , परमाणु या आयन होते है। ये closely packed(अच्छे से दबाकर पैक किया हुआ) अर्थात निबिड संकुलित होते है तथा असंपीडिय होते है अतः ठोस कठोर होते हैं। ठोस के अवयवी कणों के मध्य रिक्त स्थान कम होता है। इनकी स्थिति स्थिर बनी रहती हैं अतः ठोस का आयतन निश्चित बना रहता है। 1. इनका घनत्व गैस तथा द्रव की तुलना में अधिक होता है। (d =M/V) 2. इनका गलनांक प्राय: अधिक होता है। 3. ये माध्य स्थिति के सापेक्ष दोलन करते है। ठोसों के प्रकार : ठोस दो प्रकार के होते है 1. क्रिस्टलीय ठोस 2. अक्रिस्टलीय ठोस नोट : ठोसों का यह वर्गीकरण अवयवी कणों की व्यवस्था के आधार पर किया गया है। क्रिस्टलीय तथा अक्रिस्टलीय ठोसों में अंतर 1. क्रिस्टलीय इनका ज्यामितीय आकार निश्चित होता है। परासी व्यवस्था होती होती है। ये वास्तविक ठोस है। इनका गलनांक निश्चित होता है। गलन ऊष्मा निश्चित होती है। तेज धार वाले औजार से काटने पर ये सपाट व चिकनी सतह वाले दो भागो में विभक्त हो जाते है। ये विषम दैशिक होते है। उदाहरण : पोटेशियम नाइट्रेट , बेन्जोइक अम्ल , कॉपर , चाँदी , लोहा , सोना , नैफ्थलीन , क्वार्ट्ज़ आदि 2. अक्रिस्टलीय इनका ज्यामितीय आकार निश्चित नहीं होता। परासी व्यवस्था होती होती है ये आभासी ठोस या अतिशीतित द्रव है। अर्थात द्रवों के भाँति बहने वाले। इनका गलनांक निश्चित नहीं होता ये एक ताप परास पर धीरे धीरे पिघलते है। गलन ऊष्मा निश्चित नहीं होती। तेजधार वाले औजार से काटने पर ये समान व चिकनी सतह वाले दो भागो में विभक्त नहीं होते है। ये सम दैशिक होते है। उदाहरण : काँच , लकड़ी , रबड़ , PVC (पोलीविनाइल क्लोराइड) , टेफ्लॉन , रेशा कांच , फाइबर आदि