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100+ गणित शिक्षाशास्‍त्र से संबंधित प्रश्‍न | CTET परीक्षा

Filed under: Teaching Aptitude

1.    गणित करने की युक्ति के रूप मे सवाल हल करना क्रियाकलाप आधारित उपागम है

 2.    गणित में निदानात्‍मक परीक्षण का उद्देश्‍य है कि बच्‍चों ने जिस भी प्रकार से प्रश्‍नों को समझा है उसमें कोइ्र पद भूल तो नही रहा हे अर्थात बच्‍चों की समझ में निहित रिक्तियों ( भूल ) को जानना ।

 3.    जब शाब्दिक प्रश्‍नो के आने पर शिक्षाथी्र यह नही समझ पाता कि उसमें जोड करना है या घटाना, गुणा ,भाग अर्थात शिक्षार्थी संख्‍या -सक्रियाओ को नही समझता ।

 4.    जो बस्‍तुए पर्यावरण में पायी जाती हे और लुढकती या फिसलती हे उनहे को  एन.सी.ई.आर.टी ने जादू का शीर्षक देकर कक्षा 2 की पाठ्य पुस्‍तक में इस तरह के सुझाव यह समझाने में शिक्षक की सहायता करते है कि निदर्शन से संपूरित चर्चाए विद्यार्थियों को संकल्‍पनाओ को बेहतर तरीके से समझने मे सहायता करती हे

 5.    क्षेत्रफलकी अवधारणा से परिचित कराने के लिए शिक्षक  हथेली , पते पेसिंल नोटबुक आदि विभिन्‍न वस्‍तुओ की सहायता से किसी आकृति के क्षेत्रफल की तुलना से शुरूआत कर सकता है ।

 6.    माप की अवधारणा विकसित करने हेतु अपनाये गये कार्य का क्रम निम्‍न होता है –

a. शिक्षार्थी सरल अवलोकनद्वारा वस्‍तुओ को सत्‍यापित करते है

b. शिक्षार्थी लम्‍बाई मापने के लिए अमानक इकाईयो का  प्रयोग करते है

c. शिक्षार्थी लम्‍बाई मापने के लिए मानक इकाईयो का प्रयोग करते है

d. शिक्षा‍र्थी मीटर इकाईयो के बीच के संबंधो को समझते है

 7.    एक अच्‍छा गणितज्ञ होने के लिए गणित के सभी अवधारणो को समझनालागू करना और उनमें संबंध बनाना जरूरी है ।

 8.     पुस्‍तक के पाठो में इस तरह के शीर्षक जैसे – कबाडी वाली , भोपल की सैर आदि पाठ्य पुस्‍तक को रोचक बनाने के लिए उसके पाठो के शीर्षक को दैनिक जीवन से जोडा गया है

 9.    भिन्‍न की अवधारण से परिचित कराने केलिए शिक्षक को पर्यावरण में मैजूद वस्‍तुओ में भिन्‍न भागो को पहचान कराने  से शुरूआत करनी चाहिए ।

10.  आकार पढाने के लिए ऐतिहासिक स्‍थानो के भ्रमण की योजना बनाने का यह पात्‍पय्र है कि आकार किसी भी वस्‍तु कला का एक अभिन्‍न हिस्‍सा होते है और इस तरह के भ्रमण सभी विषयो के आपसी संबंधो को बढावा देते है ।

11.  कक्षा पांच के विद्यार्थियोको समतल आकृतियो के क्षेत्रफल की संकल्पना में विभिन्‍न वस्‍तु का उपयोग किया जाये जो अपने दैनिक जीवन मे  सामान्‍यत: अपने आसपास देखते हो जैसे – हथेली , पत्‍ती  पेसिंल आदि की सहायता से किसी भी आकृति का क्षेत्रफल आदि ।

12.  गणित में गणना करने संबंधी कौशलो को कक्षामेंअभ्‍यास हेतु क्रियाशील गतिविधियो का आयोजन करके बढाया जा सकता है।

13.  कक्षा 3 के विद्यार्थी सामान्‍यत: लम्‍बाई के इकाई से पूर्णत परिचित नही होते है अत: उन्‍हे लम्‍बाई के इकाईयो के बारे में पढाने के लिए दैनिक जीवन मे उपयोग किये जोन वाले लम्‍बाई व इकाईयो वाले रूलर, नापने वाली छडी नापने वाली पट्टी  आदि जेसे वस्‍तुओ का प्रयोग कर उन्‍हे लम्‍बाई के इकाइयो के  बारे में  बताया जा सकता है

14.  कक्षा 3 के विघार्थियो को संख्‍या पद्धति पढाने का उद्देश्‍य है कि संख्‍याओ को सेकडो , दहाईयो ओर इकाईयो के समूह के रूप मे देखना और स्‍थानीय मानो की सार्थकता को समझाना है

15.  सबसे उपयुक्‍त व्‍यूह रचना जिसका प्रयोग धनराशि के योग की कुशलता को आत्‍मसात करने के लिए भूमिका निर्वाह (  रो प्‍ले ) किया जा सकता है

16.  ग्रिड गति‍विधि का उपयोग संकल्‍पनात्‍क ज्ञान और समस्‍या समाधान पर ज्‍याद बल देने का होता हे न कि प्रक्रमणशील ज्ञान पर 

17.  विद्याथी्र को यह समझाने के लिए की शेष हमेशा विभाजक से कम है का उचित उपागम है कि वस्‍तुओ को विभाजक के गुणनो में समूही कृत करना और प्रदर्शित करना कि वस्‍तुओ की संख्‍या जो समूह में नही हे विभाजक से कम है ।

18.  असाम भिन्‍नो के योग की संकल्‍पना को स्‍पष्‍अ करने केलिए चित्रात्‍मक प्रतिरूप देना तथा बाद में समान प्रकार के सवालो का अभ्‍यास करना ।

19.  गुणन की संकल्‍पना को स्‍षष्‍ट करने के लिए  गतिसंवेदी छात्रो को समझाने के लिए आडी तिरछी रेखाओ के प्रतिच्‍देदन बिन्‍दूओ को गिनना आदि तरीको से सिखाया जाना चाहिए । 

20.  पैटर्न  प्राथमिक स्‍तर पर – विद्यार्थियो मे सृजनात्‍मकता को बढावा देती है और संख्‍याओ तथा संक्रियाओ की विशेषता समझने के उनकी सहायता करती है ।

21.  ऑकडोके विश्‍लेषण संबंधी विद्यार्थियो की समझ का आकलन करने के लिए सर्वाधिक उचित रूपात्‍मक काय्र , सर्वेक्षण आधारित परियोजना है न कि रोल प्‍ले ।

22.  पियाजे का सिद्वांत  सामूहिक परियोजना और सामूहिक परिचर्चा का  प्रयोग करना सिखता है ।

23.  उच्‍च क्रमीय चिंतन कोशल पर आधारित प्रश्‍न कुछ सीमा तक संज्ञानात्‍म्‍क प्रयास और ज्ञान की मॉग करते है

24.  जब शिक्षार्थी किसी संख्‍या को विभिन्‍न तरीके से व्‍यक्त करता है तो इससे ज्ञात होता है कि शिक्षार्थी संख्‍या की संक्रिय अवस्‍था की विकासात्‍मक अवस्‍था पर है ।

जैसे – 4+5 – 9

7 +2 – 9

25.  
 व्‍यवस्‍था संकल्‍पना             परिकलन प्रक्रिया             संक्रिया –

26.  विद्यार्थीजब आकृतियो का बनाता है और उसे सही तरीके से मापते हे तो बने हिले के अनुसार विद्यार्थी विश्‍लेषणात्‍म्‍क स्‍तर पर हे ।

27.  कक्षा 4 में बिन्‍दू और रेखा पर ज्‍यामितिया पाठ के लिए आकलन क निर्देश होगे रेखा और रेखाखंड किरण में अंतर करना और उन्‍हे परिभाषित करना ।

28.  किसी दो संख्‍या को गुणा करने पर 24 गुणनफल प्राप्‍त होगा यह प्रश्‍न मुक्‍त अंत वाला प्रश्‍न है क्‍योकि इसके एक से अधिक उत्‍तर हो सकते है ।

29.  कक्षा 2 के शिक्षार्थियो का सरल आकृतियो उसके लंबे और किनारोसे परिचय कराने का सबसे उत्‍तम उपकरण जियो बोर्ड है ।

30.  संश्‍लेषण – इकटृा करना             विश्‍लेषण – अलग अलग करना ।

31.  एक अच्‍छी पाठ्यपुस्‍तक की विशिष्‍टताएं हे

a. जिसमें स्थितियो के माध्‍यम से सभी सकंल्‍पनाओ का परिचय दिया जा सकता हो व

b. उनमें कठोर अभ्‍यास देनेके लिए बहुत सारे अभ्‍यास हो ।

32.  राष्‍ट्रीय पाठरूक्रम की रूप रेखा 2005 गण्तिा में सफलता प्रत्‍येक बच्‍चे के लिए आवश्‍यक हे पर बल देती है ।

33.  1/3 का समतुल्‍य पूछा गया है अथा्रत यह निम्‍न स्‍तरीय मांगा काय्र है क्‍योकि इसमें केलव प्रक्रमणकारी कोशलो की आवश्‍यकता होती है ।

34.  प्राय: शिक्षार्थी दशमलव संख्‍याओ की तुलना करने में त्रुटि करते हे इसका प्रमुख कारण हे कि शिक्षार्थियो का क्रमिक दशमलव में शून्‍य की सार्थकता से संबंधित भ्रांतिपूर्ण संकल्‍पना होना ।

35.  ,वेन हीले के ज्‍यामिति विचार के स्‍तर के अनुसार पॉच स्‍तर है –

a. चाक्षुषीकरण

b. विश्‍लेष्‍ज्ञण

c. अनोपचारिक

d. औपचारिक निगगमन

e. दृढता है

36.   बच्‍चे का घडी के सुईयो मे अंतरकरना तथा इस प्रकार के विभिन्‍न प्रश्‍नो को हल करने में कठिनाई का तात्‍पर्य है कि उसकी सीखने मे कमजोर चाक्षुष प्रक्रमण योग्‍यता जैसे – चाक्षुत विभेदीकरण स्‍थानीयकरण संगठन और चाक्षुष समन्‍वयन प्रभावित कर रही हे

37.  राष्‍ट्रीय पाठ्य चर्चा की रूपरेखा 2005 अधिगम के रचना पर बल देती हे क्‍योकि वह गतिविधियो में शामिल करते हुए शिक्षार्थी की सक्रिया भागीदारी पर केन्द्रित है

38.  प्रश्‍न में महत्‍वकांक्षी से तात्‍पर्य हे कि गणित के उच्‍च उद्देश्‍यो की प्राप्ति ।

39.  चित्र के माध्‍य से गणितीय प्रश्‍नो को हल करने का तरीका संकलन और व्‍यवकलन की कुशलता को प्रबल करता है। 

40.  कक्षा 3 में गुणन की इकाई में अनुमोदित मूल संकल्‍पना गुणन धर्म क्रम गुण और समूह गुण की मूल संकल्‍पना है ।

41.  कक्षा 4 के छात्र को समय मूल्‍यांकन के बार में जानकारी के लिए अंकीय घडी और सदृश घडी पर समय पढना आधार घण्‍टा अधिक , चौथाई घण्‍टा आधिक , चौथाई धण्‍टा कम एम और पीएम की संकल्‍पना , मिनट घण्‍टा सेकेण्‍ड से संबंध जानना अति आवश्‍यक है।

42.  राष्‍ट्रीय  पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 में उल्लिखित गणित की लम्‍बी आकृति का संकेत करती है कि एक संकल्‍पना पर दूसरी संकल्‍पना बनाना ।

43.  किसी भी विषय मे लचीलापन इसी बात पर निभ्रर करता हे कि किसी भी कथन को एक से अधिक तरीको में किस प्राकर प्रयोग कर समस्‍या काहल निकाला जा सकता है यद्यपि उसकी वास्‍तविकताबनी रहे 

44.  सर्वप्रथम रोजमर्रा की भाषा का प्रयोग किया जाए ताकि बच्‍चा आसानी से समझ सके उसके बाद समस्‍या गणितीयकरण की भाषा मे प्रस्‍तुत की जाए और फिर गणितीय समस्‍यासमाधान की भाषा इन सभी चरणो के बाद समस्‍याको प्रतीकात्‍मक रूप्‍ से प्रकट करना ताकि बच्‍चे भी उसे प्रतीकात्‍मक रूप्‍ से समझ सके ।

45.  मानसिक चित्रण स्‍तर  मे बच्‍चे वस्‍तुओ का वर्गीकरण देखकर करते है उदाहरण लाल डिब्‍बा चुने बच्‍चा केवल लाल डिब्‍बा ही चुनेगा चाहे वाह किसी भी आकार काहो ।

46.  बहुअनुशासनात्‍मक उपागम के अंतर्गत विभिन्‍न विषयो के  अनुशासन को भी सम्मिलित करने का प्रयत्‍न किया जाता है ।

47.  जियो बोर्ड के द्वारा ज्‍यामितीय आकृतियॉ और उनकी विशेषताऍ आदि का शिक्षण किया जाता है जैसे  - आयत , त्रिभुज , वर्ग आदि। (ज्‍यामिती आकृतियॉ और उनकी विशेषताऍ )

48.  प्राथमिक स्‍तर पर टेन ग्राम , बिन्‍दु का खेल , प्रतिरूप इत्‍यादि का प्रयोग स्‍थानिक समझ की योग्‍यता मे बृद्धि के लिए विद्यार्थियो की सहायता करते हे ।

49.  गणित की शिक्षा का मुख्‍य ध्‍येय बच्‍चो की गणितीय प्रतिभाओ का विकास करना है ।

50.  गणित मे जब व्‍यवहारिक उपागम का प्रयोग किया जाता हे तोइस प्रयोग से एक निश्चित प्रकार की सोच व तार्किकता विकासित होती हे ।

51.  यदि विद्याथी्र किसी समस्‍याओ को हल करने मे सक्षम हे तथा उसकी व्‍याख्‍या करने में सक्षम नही है तो वह निम्‍न स्‍तरीय भाषा प्रवीणता और उच्‍च स्‍तरीय गणितीय प्रवीणता प्रदशिर्त करती हे ।

52.  विभिन्‍न प्रकरणो मे खण्‍ड अभ्‍यास समय को समावेशित करने का उद्देश्‍य है कि विस्‍तृत अधिगम अवसर प्रदान करना ।

53.  प्राथमिक अवस्‍था में गण्ति में अधिगममें असंगति को और शिक्षण में कमियो को पहचानना मूल्‍याकंन मे अंतर्निहित है ।

54.  कक्षा में गणितीय मनोजरनात्‍मक क्रिया कलाप तथा चुनौ‍तीपूर्ण ज्‍यामिति पहेलियॉ संबंधी क्रिया कलाप महत्‍वपूर्ण है क्‍योकि वे प्रत्‍येक शिक्षाथी की स्‍थानिक व विश्‍लेषणात्‍मक योग्‍यता के संवर्द्धन में सहायक है।

55.  वैदिक गणित का प्रयोग गणित में गणना  के कौशल तथा गति के विकास में सहायक है ।

56.  राष्‍ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2005 के अनुसार विद्यालय में गणित शिक्षण का संकीर्ण उद्देश्‍य संख्‍यात्‍मक कौशलो का विकास करना हे ।

57.  जब बच्‍चा सभी सक्रियाओ को करने में सक्षम है तो वह संक्रियात्‍मक अवस्‍था मे है ।

58.  यदि छात्र मौखिक रूप्‍ से बता रहा है परन्‍तु समस्‍या हल करने में असमर्थ है तो इसकी सबसे अच्‍छी  उपचारात्‍मक तकनीक हे कि उसको एक कार्य पत्र देना जिसमें समस्‍याए आंशिक रूप हल की गई हो और उसे खाली स्‍थान भरने हो

59.  प्राथमिक स्‍तर पर लम्‍बाई को मापना विषय पढाने के लिए कौन सा श्रेणी क्रम उत्‍त्‍म है

a. तुलना करना

b. अप्रामाणिक मापो का उपयोग

c. प्रामाणिक मापो का उपयोग

d. प्रामाणिक इकाई को विकासित करना ।

60.  क्रम से रखना अर्थात सुव्‍यवस्थित करना 

61.  कक्षा 4 में सममिति और परावर्तन की ज्‍यामितीय संकल्‍पनाओ की वृद्धि के लिए बिन्‍दु (डॉट पेपर ) व्‍यवहार कौशल उपकरणो की आवश्‍यकता होती है ।

62.  कक्षा 5 में गणित के पीरियड मे रखा गया वाद विवाद बच्‍चो को विश्‍लेषण और सम्‍प्रेषण में प्रोत्‍साहित करता है क्‍याकिे वाद विवाद जैस क्रियाकलापेा से विश्‍लेषण व सम्‍प्रेषण शक्ति बढती है

63.  एक शिक्षार्थी को संख्‍याओ और परिकलन मे समस्‍या हो रही हे – डिस्‍कैल्‍कुलिया

64.  खुल अंत वाले प्रश्‍नो में प्रश्‍न को हल करने की कोई निश्चित विधि नही होती अर्थात प्रश्‍न हल करने की एक से अधिक विधियॉ हो सकती है

65.  हासिल वाले दो अंको की संख्‍याओ के जोड में कठिनाई का सामाना करना यह बताता है कि विद्यार्थी को पुनर्समूहीकरण की प्रक्रिया की समझ का अभाव है ।

66.  कक्षा में संप्रेषण गणितीय विचार को सुव्‍यवस्थित, संचित और स्‍पष्‍ट करनने की क्षमता का विकास करना है ।

67.  यहद शिक्षार्थी पूर्णाको , भिन्‍न और दशमलव संख्‍याओ पर चारो आधारभूत संक्रिया सम्‍पन्‍न करने मे समर्थ हे तो संक्रियात्‍मक अवस्‍था में है ।

68.  5 सेब के बाद 7 सेब और डाल दिये गये तो टोकरी मे सेवो का समुच्‍च हो रहा है अत: समुच्‍चय श्रेणी का प्रयोग कर रहे है ।

69.  कक्षा 4 के विद्यार्थियो को भिन्‍न के छोटा बडा समझाने के लिए सर्वाधिक उपयुक्‍त शिक्षण अधिगम सामग्री संख्‍या चार्ट है 

70.  प्रेक्षण का अथ्र होता है कि अवलोकन यंत्रो के उपयोग से डेटा की रिकॉर्डिग करना अत: प्रेक्षण वह सर्वाधिक उपयुक्‍त युक्ति है जिसमें दो या दो से अधिक विमाओ वाली वस्‍तुओ के मापो की तुलना सुगमता से की जाती है ।

71.  प्राथमिक स्‍तरपर गणित की पहेलियॉ मदद करती हे – समस्‍या सुलझाने के कोशलो को प्रोत्‍साहित करने में /।

72.  गणितीय संचारण उल्‍लेख करता है । -‘ गणितीय संचारण गणितीय विचारो को समाहित और संगठित करने की क्षमता का वर्णन करता है ।

73.  राष्‍ट्रीय पाठ्यचर्या  के अनुसार प्राथमिक विद्यालयो मे गणित का मुख्‍य उद्देश्‍य बच्‍चे की सोच विचार प्रक्रिया को गणितीय रूप्‍ देना है

74.  जयामिति समझ को विकासित करने का सही तरीका है –

a. मानसिक चित्र

b. विशलेषण

c. औपचारिक निगमन 

d. अनौपचारिक निगमन आदि

75.  बच्‍चो में सख्‍या ज्ञान विकासित करने के लिए शून्‍य का परिचय दियाजाना चाहिए ।

76.  दो संख्‍याओ के गुणन से प्राप्‍त संख्‍या सदैव दोनेा संख्‍याओ से बडी होती है ग्रिड पेपर पर दो दशमलव संख्‍याओ के गुणन को प्रदर्शित करके कक्षा 4 के शिक्षार्थी को दिखासकते है कि यह कथन सदैव सत्‍य नही होता प्

77.  प्राथमिक सतर पर शिक्षाथ्रियो को माप का संदर्भ पढाने के लिए प्रमाणिक मापो का उपयोग अप्रमाणिक मापेा के बाद करना चाहिए

78.  वास्‍वविक जिन्‍दगी से गणित का संबंध बनाने के लिए और अंविर्षयो को विकसित करने के लिए क्षेत्रीय भ्रमण सर्वेक्षण व परियोजना का उपयोग किया जा सकता है

79.  संख्‍याओ के संदर्भ में प्राथमिक कक्षा के 8 से 9 वर्ष की आयु के बच्‍चे पंक्तिबद्ध वर्गीकरण , प्रतिर्त्‍यता में प्रवीण हो जाते है ।

80.  दो आकृतियो के क्षेत्रफल समान है यह बाते के लिए छात्रो को आलेख (ग्राफ) पेपर का प्रयोग कर सकते है

81.  दो अंकीय संख्‍याअ को दूसरी एक अंकीय या दो अंकीय संख्‍या से गुण करने की प्रक्रिया को समझाने के लिए निम्‍निलिखत मे से कौन सी पूर्व जानकारी आवश्‍यक हे – गुणन योग पर वितरण के रूप मे ं

82.  दो दशमवल संख्‍याओ के योग की संकल्‍पना को पढाने के लिए ग्राफ पेपर सर्वाधिक उपयुक्‍त शिक्षण अधिगम का साधन है ।

83.  प्राम्भिक कक्षाओ में एकगणितीय अवधारणा के विकास मे निर्देशो का अनुक्रम होगा ।

a. अनुभव प्रदानकरना

b. भाषा के माध्‍यम से समझाना

c. चित्र बनाना

d. प्रतीकात्‍मक प्रतिनिधित्‍व का उपयोग करना ।

84.  अधिगम और आकलन का व्‍यवस्थित क्रम निम्‍नलिखित होता है –

a. शिक्षण अधिगम और आकलन की योजना बनाना औरी उसका संगठन

b. शिक्षण अधिगम के साथ एकीकृत आकलन

c. प्रगति रिपोर्ट का विकास

d. बच्‍चो के अधिगम और प्र‍गति की प्रतिपुष्टि की रिपोर्टिंग और उसका संचार

85.   रोमन अंक स्‍थानी य मान का नियोजन नही करते है

86.  अ‍शिक्षित दुकानदार द्वारा उपयोग किय जाने वाले गणित – को संबंधित समस्‍याओ को हल करने मे वेकल्पिक रणनीति के रूप्‍ में कक्षाओ में शिक्षको द्वारा चर्चा की जानी चाहिए।

87.  गणित में सीखने के प्रतिफल विकसित किए जाने का मुख्‍य कारण यह है कि जिससे बच्‍चो द्वारा हासिल की जोन वाली कक्षावार दक्षता और कोशल को परिभाषित किया जाऐ

88.  बच्‍चो का अन्‍वेषण में लगना कक्षा मे हो रहा कौन सा काय्र एक गतिविधि है ।

89.  प्रश्‍न में दिय गए रीडिंग को चिहिनत करके ग्राफ पेपर को सहायता से दशमलव मान को सरलाता पूर्वक पढाया जा सकता है ।

90.  विवेचना करना , चर का प्रयोग तथा प्रतिरूप अवलोकन के द्वारा एक छात्र गणित में प्रश्‍न हल करने का कौशल अर्जित करता है

91.  आयताकार रूप्‍ में टाइल्‍स को व्‍यवस्थित करके क्षेत्रफल गुणनफल तथा परिमाप की अवधारणा स्‍पष्‍ट किया जा सकता है।

92.  पियाजे के सिद्धांत के अनुसार भार के संरक्षण की समझ आयतन के संरक्षण से पूर्व आती हे किसी भी बच्‍चे का मोलिक अवधारणा के द्वारा पढाया जा सकता है ।

93.  समान्‍य बच्‍चो की तुलना मे दृष्टि बाधित छात्रो को किसी अवधारणा को समझाने के लिए विशेष विधियो की आवश्‍यकता पडती है ऐसी अवस्‍था में शिक्षण अधिगम की वैकल्पिक प्रणालियो तथा साधनो जैसे – स्‍पर्श विधि , पंक्ति पुनरावृत्ति तथा सामन्‍य लेखन गति की तुलना मे कम गति में लिखना शिक्षण धीमी गति मे होता है तथा प्रभावी रूप्‍ मे किय जाता है जिससे वे बेहतर ढंग से समझ पाते है 

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