1. मोहनजोदड़ो – इसकी खुदाई वर्ष 1922 में राखालदास बैनर्जी द्वारा करवाई गयी थी। मोहनजोदड़ो का अर्थ होता है “मृतकों का टीला”। यह सिंधु नदी के किनारे बसा हुआ है। यह सिन्ध (पाकिस्तान) के लरकाना जिले में मौजूद है। प्राप्त साक्ष्य – सूती कपड़े के अंश, महास्नानागार, पुरोहितों के आवास, सभागार, काँसे से बनी नर्तकी की नग्न मूर्ति, ताँबे का ढेर, पशुपति शिव का साक्ष्य, घोड़े के दाँत, सेलखड़ी से बना बाट, चिमनी, साधु की मूर्ति आदि। 2. कालीबंगा – इसकी खुदाई वर्ष 1953 में अमलानन्द घोष द्वारा तथा बी. के. थापर द्वारा 1960 में करवाई गयी थी। कालीबंगा का अर्थ होता है “काले रंग की चूड़ियाँ”। यह स्थल राजस्थान के गंगानगर जिले में घग्गर नदी के तट पर स्थित है। प्राप्त साक्ष्य – कच्ची ईटें व अलंकृत ईंटें, बेलनाकार मुहरें (मेसोपोटामिया जैसी), खेती के साक्ष्य – जुते हुये खेत जहाँ कालीबंगा से दूर सरसों की फसल और नजदीक पर चने की फसल बोयी जाती थी। लकड़ी के बने पाइप आदि। 3. हड़प्पा – इसकी खुदाई वर्ष 1921 में दयाराम साहनी व सहायक माधोस्वरूप वत्स द्वारा करवाई गयी थी। यह पंजाब के मांटगोमरी जिले में रावी नदी के तट पर स्थित है। प्राप्त साक्ष्य – मुहरें, कब्रिस्तान, मछुआरे का चित्र अंकित बर्तन, बालू पत्थर की बनीं दो मूर्तियाँ, धोती पहने एक मूर्ति, कांसे का सिक्का, शंख से बना बैल, अनाज भण्डारण के कमरे जहाँ से जौ और गेहूँ प्राप्त हुये हैं। कतार में बने श्रमिक आवास आदि। 4. चाँहुदड़ो – इसकी खोज वर्ष 1931 में एन.जी. मजूमदार द्वारा की गयी थी, जिसे पुरातत्वविद मैके ने वर्ष 1935 में आगे बढ़ाया। यह स्थल सिंध (पाकिस्तान) में स्थित है। प्राप्त साक्ष्य – वक्राकार ईंटें – यह एक मात्र स्थल है जहाँ से वक्राकार ईंटें प्राप्त हुई हैं, बिल्ली का पीछा करते कुत्ते का साक्ष्य, सजने-सवरने के लिये लिपस्टिक का प्रयोग किया जाता था, मनके का कारखाना आदि। 5. बनवाली – इसकी खोज वर्ष 1973 में आर.एस. बिष्ट द्वारा की गयी थी। यह स्थल हरियाणा के हिसार जिले में स्थित है। प्राप्त साक्ष्य – ताँबे का बना वाणाग्र व कुल्हाड़ी, हल की आकृति का खिलौना, पत्थर व ईंट के मकान, उन्नत किस्म की जौ, सड़कों पर बैलगाड़ी के निशान आदि। 6. लोथल – इसकी खोज वर्ष 1957 में रंगनाथ राव द्वारा की गयी थी। यह स्थल गुजरात के अहमदाबाद जिले में भोगवा नदी के तट पर स्थित है। प्राप्त साक्ष्य – अग्निवेदिका, पक्की मिटटी से बना नाँव का नमूना, जहाज बनाने का स्थल, चावल के दाने, फारस की मुहर, हांथी दांत का स्केल, घोड़े की लघु मृणमूर्ति, ममी की आकृति, चक्की (अनाज पीसने के लिये), चालाक लोमड़ी की कहानी के सबुत आदि। 7. आलमगीरपुर – इसकी खुदाई वर्ष 1958 में यज्ञदत्त शर्मा द्वारा करवाई गयी थी। यह स्थल उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हिण्डन नदी के तट पर स्थित है। 8. रोपड़ – इसकी खुदाई वर्ष 1953 में यज्ञदत्त शर्मा द्वारा करवाई गयी थी। यह स्थल पंजाब राज्य में सतलुज नदी के तट पर स्थित है। प्राप्त साक्ष्य – ताँबे की कुल्हाड़ी, आदमी और कुत्ते की एक कब्रगाह आदि। 9. सुरकोटड़ा – इसकी खुदाई वर्ष 1964 में जगपति जोशी द्वारा करवाई गयी थी। यह स्थल गुजरात राज्य के कच्छ नामक जगह पर स्थित है। प्राप्त साक्ष्य – घोड़े की हड्डियाँ, अनूठी प्रकार की कब्रगाह। 10. सुत्कोगेंडोर – इसकी खुदाई वर्ष 1927 में औरेल स्टाईन के द्वारा करवाई गयी थी। यह स्थल बलूचिस्तान में दाश्क नदी के तट पर स्थित है। प्राप्त साक्ष्य – मिट्टी की बानी चूड़ियाँ, राख से भरा बर्तन, ताम्बें की कुल्हाड़ी, मनुष्य की हड्डियाँ। 11. धौलावीरा – इसकी खोज वर्ष 1967 में जगपति जोशी द्वारा की गयी थी, परन्तु इसकी व्यापक खुदाई रविंद्र सिंह बिष्ट द्वारा करवाई गयी थी। यह स्थल गुजरात राज्य के कच्छ जिले में मानहर एवं मानसर नदी के बीच स्थित है। यह पहला ऐसा नगर है जो तीन भागों में बटा हुआ था – दुर्गभाग, मध्यम भाग और निचला नगर। प्राप्त साक्ष्य – दुर्गभाग और मध्यभाग के बीच में भव्य ईमारत के अवशेष, चारों और दर्शकों के बैठने के लिये बनायीं गयी सीढ़ीनुमा संरचना तथा सूचनापट। विभिन्न प्रकार के जलाशय। 12. राखीगढ़ी – इसकी खुदाई वर्ष 1997 में अमरेंद्र नाथ द्वारा करवाई गयी थी। यह स्थल हरियाणा राज्य के हिसार जिले में सरस्वती तथा दुहद्वती नदियों के पास स्थित है। धोलावीरा के बाद राखीगढ़ी भारत में स्थित सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा नगर है। 13. कोटदीजी – इसकी खुदाई वर्ष 1955 में एफ.ए. खान द्वारा करवाई गयी थी। यह स्थल मोहनजोदड़ो के समीप स्थित है। प्राप्त साक्ष्य – चाँदी के सर्वप्रथम प्रयोग के साक्ष्य, बारहसिंगा का नमूना। 14. अलाहदिनों – इसकी खुदाई फेयर सर्विस द्वारा करवाई गयी थी। यह स्थल सिंधु नदी और अरब सागर के संगम के समीप स्थित है। 15. कुणाल – यह स्थल हरियाणा में स्थित है। प्राप्त साक्ष्य – यहाँ से चाँदी के दो मुकुट प्राप्त हुये हैं। 16. अलीमुराद – यह स्थल सिंध (पाकिस्तान) में स्थित है। प्राप्त साक्ष्य – पीतल (कांसे) की बनी कुल्हाड़ी, बेल की छोटी मृण्मूर्ति। 17. रंगपुर – इसकी खुदाई वर्ष 1953 में रंगनाथ राव द्वारा करवाई गयी थी। प्राप्त साक्ष्य – कच्ची ईंटों से बना दुर्ग, धान की भूसी।