इस सभ्यता के लोग शिव की पूजा किरात (शिकारी), नर्तक, धनुर्धर और नागधारी के स्वरूप में करते थे। मातृदेवी (देवी के सौम्य एवं रौद्र रूप की पूजा)। पृथ्वी (एक मूर्ति में स्त्री के गर्भ से पौधा निकलता दिखाया गया है जोकि अवश्य ही पृथ्वी का स्वरूप है)। प्रजनन शक्ति (लिंग) की पूजा। वृक्ष (पीपल और बबुल), पशु (कूबड़ वाला सांड और वृषभ), नाग तथा अग्नि की पूजा भी करते थे।