तारे ऐसे खगोलीय पिण्ड हैं, जो निरंतर प्रकाश एवं ऊष्मा उत्सर्जित करते हैं। ये हाइड्रोजन गैस, हीलियम गैस और धूल के विशालकाय बादलों से बने होते हैं। तारों में उनके कुल भार का 70% हाइड्रोजन, 28% हीलियम, 1.5% कार्बन, नाइट्रोजन, निआन तथा 0.5% में लौह एवं अन्य भारी तत्वों से निर्मित होता हैं। सभी तारों में (सूर्य सहित), हाइड्रोजन परमाणु लगातार हीलियम परमाणु में परिवर्तित होता रहता है और इस प्रक्रिया के दौरान बड़ी मात्रा में ऊर्जा, ताप और प्रकाश के रूप में उत्सर्जित होती है। यही ताप और प्रकाश, तारों में चमक पैदा करते हैं। # तारों को, उनके भौतिक अभिलक्षणों जैसे आकार, रंग, चमक (दीप्ति) और ताप के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। तारे तीन रंग के होते हैं: लाल, सफेद और नीले। तारे का रंग पृष्ठ ताप द्वारा निर्धारित होता है। - लाल: इनका पृष्ठ ताप अपेक्षाकृत निम्न होता है। - श्वेत: उच्च पृष्ठ ताप वाले तारे होते है। - नीले: इनका पृष्ठ ताप अत्यधिक उच्च होता है। ध्रुव तारा (पोलारिस), सीरियस, वेगा, कैपेला, अल्फा सेंटौरी, बीटा सेंटौरी, प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी, स्पाइका, रेगुलस, प्लीएडेस, आर्कटुरस, बेटेल्गेयूज़ और सूर्य, कुछ प्रमुख तारों के उदाहरण हैं। प्रॉक्सिमा सेंटौरी सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट का तारा है। पृथ्वी से इसकी दूरी 4.22 प्रकाश वर्ष है। अल्फा सेंटौरी पृथ्वी से 4.3 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। # सभी तारे (ध्रुव तारे को छोड़कर) रात में आकाश में पूर्व से पश्चिम की ओर स्थानांतरित होते हुए दिखाई देते हैं। पृथ्वी स्वयं ही अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूर्णन करती है। अर्थात, जब पृथ्वी अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है तो तारे विपरीत दिशा अर्थात् पूर्व से पश्चिम की ओर जाते हुए दिखाई देते हैं। इस प्रकार, आकाश में तारों की आभासी गति पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूर्णन के कारण होती है। चूंकि हम लोग पृथ्वी पर मौजूद हैं, अतः पृथ्वी हमारे लिए स्थिर है लेकिन तारे आकाश में गतिमान प्रतीत होते हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि जैसे-जैसे रात बीतती है, पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूर्णन के कारण आकाश में तारों की स्थिति परिवर्तित होती रहती है।