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भारतीय परिषद अधिनियम 1892

Filed under: Politics on 2022-07-30 19:43:25

गैर सरकारी सदस्यों को नियुक्त करने के लिए विशुद्ध नामांकन के स्थान पर सिफारिश के आधार पर नामांकन की पद्धति लागू की गई

परिषदों को बजट पर विचार-विमर्श करने एवं कार्यपालिका से संबंधित प्रश्न करने का अधिकार दे दिया गया

परंतु इस अधिनियम में व्याप्त विसंगतियों के कारण भारतीय राष्ट्रवादियों ने अधिनियम की जमकर आलोचना की और यह माना गया कि स्थानीय निकायों के चुनाव मंडल बनाना एक प्रकार से इनके द्वारा मनोनीत करना ही है विधानमंडल को बहुत ही सीमित शक्तियां प्राप्त थी जैसे सदस्य अनुपूरक प्रश्न नहीं पूछ सकते थे किसी भी प्रश्न का उत्तर देने से मना किया जा सकता था कुछ वर्गों को कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया था जबकि कुछ को बहुत ज्यादा जैसे मुंबई में 2 स्थान यूरोपीय व्यापारियों को दिए गए जबकि भारतीय व्यापारियों को एक भी नहीं

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Yami Thakur     View Profile
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