महासागर को तीन भगौलिक प्रदेशों में बाँटा जा सकता है – 1. महादेशीय निधायों का प्रदेश (Continental Shelves) 2. महादेशीय ढलानों (Continental Slope/slopes) का प्रदेश, और 3. अथाह समुद्री तल (Deep Sea Floor) प्रदेश. महादेशीय निधायों का प्रदेश (Continental Shelves): Continental Shelf यद्यपि समुद्र से सम्बन्ध रखता है पर यह अन्य दो प्रदेशों की अपेक्षा स्थल के अधीन समान और समीप है. इसकी गहराई साधारणतया 600 ft. से अधिक नहीं होती. पर्वतीय तटों पर यह कुछ ही फुट चौड़ा पर समतल मैदानी तटों के निकट सैकड़ों मील तक चौड़ा मिलता है. उत्तरी ध्रुव या आर्कटिक महासागर (arctic ocean) को घेरने वाले तटों के निधाय (shelf) संसार भर के सब shelves से अधिक विस्तृत हैं. वहाँ कहीं-कहीं यह 750 मील चौड़ा है. वहाँ अपेक्षाकृत यह गहरा भी अधिक है मानो हिमखंडों (ice cubes) के बोझ से दबकर निचला तल नीचे धँस गया हो. Continental Shelf के गहनतम भागों को छोड़कर शेष पूरे प्रदेश में सूर्य की किरणों का प्रवेश होता है. इसके ऊपर के जल में वनस्पतियाँ रहती हैं, जैसे प्लैंकटन (Plankton) जो मछलियों का प्रमुख आहार है. इसके जल पर पशुओं के झुण्ड के रूप में असंख्य मछलियाँ तैरती रहती हैं. World famous डॉगर बैंक (dogger bank) जो किसी समय स्थल का जंगल था और प्रागैतिहासिक जन्तुओं का निवास-स्थान था, आज समुद्री बालुई (sandbank) का क्षेत्र है और मछलियों से भरा हुआ है. संसार के प्रायः सभी मछली पकड़ने वाले क्षेत्र महादेशीय निधायों (continental shelf) पर ही स्थित है. इसका क्षेत्रफल लगभग 1 करोड़ वर्गमील होगा. # CONTINENTAL SHIFT का निर्माण: Continental Shift का निर्माण दो प्रकार से होता है – 1. सागर की लहरों के क्षय-कार्य द्वारा, और 2. नदियों और सामुद्रिक लहरों के निक्षेपण-कार्य द्वारा. संसार के कई भागों में हिमनदों ने भी अपने क्षयकारी और निक्षेपण-कार्यों द्वारा इस तरह के मिलते-जुलते निधायों की सृष्टि की है. सागर-तल के उठने और गिरने से भी अतीतकाल में ऐसे प्रदेश बनते रहे हैं. ज्यों-ज्यों प्राचीन समुद्रों द्वारा छोड़े गए महादेशीय भाग के पेट्रोलियम-भंडार खाली होते जाते हैं त्यों-त्यों भूगर्भशाष्त्री उसकी खोज में इन महादेशीय निधायों (continental shelves) के पास छिपे स्थल-भाग में भू-छेदन कार्य (Drilling work) करने में संलग्न हो जाते हैं और उन्हें सफलता भी मिलती है.