12 मार्च, 1930 को गांधी जी तथा अन्य नेताओं ने डांडी की ओर प्रस्थान किया। यही उनका प्रसिद्ध डांडी मार्च था। 6 अप्रैल, 1930 को गांधीजी ने स्वयं नमक कर कानून तोड़ कर नमक बनाया। यह आंदोलन सगुणा देश में फैल गया। सरकार ने आंदोलन को कुचलने के लिए बल प्रयोग किया। इस आंदोलन में लगभग हजार सत्याग्रहियों को जेलों में लूंसा गया। जनता ने भी हिंसा का आश्रय लिया, पुलिस ने 25 व्यक्तियों को गोली से मार कर इसका बदला लिया। पेशावर में तो 24 अप्रैल से4 मई, 1930 तक अंग्रेजी शासन नहीं रहा। वहां सीमान्त गांधी (बादशाह खान) के खुदाई खिदमतगारों ने व्यवस्था कायम रखी। बाद में सेना ने पेशयम में पहुंचकर मशीन गनों से खुदाई खिदमतगारों को भून दिया। इसी समय एक गढ़वाली प्लाटून ने अपने पाय भाइयों पर गोली चलाने से इन्कार कर दिया।