प्रथम विश्व युद्ध के 4 मुख्य कारण माने जाते है- साम्राज्यवाद –1914 में औद्योगिक क्रांति हो चुकी थी। इस वजह से सभी बड़े देश ऐसे उपनिवेश बनाना चाहते थे जहां से वे कच्चा माल पा सकें। इस उद्देश्य के लिए सभी विकसित देशों में उपनिवेश बनाने की होड़ सी लग गई। हर देश दूसरे देश पर अधिकार करना चाहता था। 28 जून 1914 को ऑस्ट्रेलिया के उत्तराधिकारी आर्चड्यूक फ़्रांज़ फर्डीनेन्ड और उनकी पत्नी की हत्या कर दी गई। इस घटना से क्रुद्ध होकर ऑस्ट्रिया ने सर्बिया के विरुद्ध युद्ध शुरू कर दिया। यहीं से प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत हो गई थी। राष्ट्रवाद – 19वीं शताब्दी में हर देश के अंदर देशभक्ति की भावना जाग गयी। यूरोप के ज्यादातर देश जैसे – जर्मनी, इटली, ब्रिटेन, हौलेंड एंड बेल्जियम, फ्रांस के अंदर राष्ट्रवाद (देशभक्ति) की प्रबल भावना जाग गई। सभी बड़े देशों के बीच गुटबंदी शुरू हो गई। मुख्य युद्ध सिर्फ ऑस्ट्रिया और सर्बिया के बीच होना था पर धीरे-धीरे इसमें दूसरे देश जुड़ने लगे। इस तरह बहुत से देश इस युद्ध में शामिल हो गए। रूस, फ्रांस और ब्रिटेन ने युद्ध में सर्बिया की मदद की और जर्मनी ने ऑस्ट्रेलिया की। मिलिट्रीज्म – उस समय सभी बड़े देश अधिक से अधिक शक्तिशाली और ताकतवर बनना चाहते थे। सभी के बीच गन मशीन, टैंक, बंदूक लगे बड़े जहाज जैसे विकसित अस्त्र-शस्त्र बनाने की होड़ सी लग गई थी। ब्रिटेन और जर्मनी आधुनिक हथियार बनाकर बाकी देशों से काफी आगे निकल चुके थे। औद्योगिक क्रांति की वजह से दोनों ही देश बहुत सफल और विकसित बन चुके थे। अमेरिका रूस जापान इटली फ्रांस बेल्जियम जैसे देश जर्मनी और ब्रिटेन के मॉडल को कॉपी करने लगे। सभी उनकी तरह ताकतवर और शक्तिशाली बनना चाहते थे। इस तरह एक दूसरे से अधिक शक्तिशाली बनने की मंशा में प्रथम विश्व युद्ध हुआ। 19वीं शताब्दी की सन्धियाँ –19 वीं शताब्दी में दो सन्धियाँ हुई जिनका व्यापक परिणाम भविष्य में देखने को मिला। 1882 में जर्मनी ऑस्ट्रिया हंगरी और इटली देशों के बीच संधि हुई जिसे ट्रिपल अलायंस कहते है। 1907 में फ्रांस ब्रिटेन और रूस देशों के बीच संधि हुई जिसे ट्रिपल इंटेंट के नाम से जाना जाता है।