युद्ध क्षेत्र में अंग्रेजों की निरन्तर हार से चिंतित होकर चर्चिल ने भारत का गतिरोध दूर करने के लिए 22 मार्च, 1942 को सर स्टेफर्ड क्रिप्स को भारत भेजा।
क्रिप्स ने 20 दिन तक भारत में रह कर सभी दलों एवं सभी विचारधाराओं के व्यक्तियों से विस्तृत वार्ता की।
क्रिप्स ने अपने प्रस्ताव में कहा कि युद्ध समाप्त होने के पश्चात् भारत को उपनिवेश का दर्जा दिया जाएगा
भारत चाहे तो राष्ट्रमंडल से अलग हो सकेगा। युद्ध के बाद भारत में संविधान सभा का चुनाव हो और संविधान सभा भारत के लिए नया संविधान बनाये।
क्रिप्स प्रस्तावों में अंतरिम व्यवस्था के रूप में रक्षा और विदेशी मामलों को छोड़ कर शेष सभी विभाग भारतीयों को दिये जाने की व्यवस्था भी की गई।
इस प्रकार वाइसराय की कार्यकारिणी में उक्त दो विभाग छोड़ कर शेष सभी विभागों हेतु भारतीय नियुक्त किए जाने थे।
क्रिप्स प्रस्तावों को गांधी जी ने, "एक दिवालिया बैंक के नाम भविष्य की तिथि का चैक बताया।
कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग दोनों ने ही क्रिप्स प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया।