कांग्रेस ने जुलाई 1940 में युद्ध के बाद पूर्ण स्वतंत्रता और केन्द्र में सर्वदलीय राष्ट्रीय सरकार के गठन की शर्तों के आधार पर सरकार को युद्ध में पूर्ण सहयोग देने का प्रस्ताव पारित किया।
किन्तु ब्रिटिश प्रधान मंत्री चर्चिल ने 8 अगस्त, 1940 को भारत के संबंध में अपनी नीति स्पष्ट करते हुए घोषणा की कि अटलांटिक चार्टर (प्रत्येक राष्ट्र के आत्मनिर्णय का अधिकार) केवल यूरोप के देशों पर ही लागू होता है।
भारत और बर्मा (म्यांमार) पर नहीं। उन्होंने कहा, "मैं ब्रिटिश साम्राज्य का प्रधान मंत्री ब्रिटिश साम्राज्य को छिन्न-भिन्न करने (दिवाला निकालने) के लिए नहीं बना हूं।"
उन्होंने कहा कि भारत को उपनिवेश का दर्जा देने का लक्ष्य है।
उन्होंने भारतीयों से सहयोग की अपील की लेकिन कांग्रेस और लीग दोनों ने प्रस्ताव ठुकरा दिया।
उधर कांग्रेस ने देशी रियासतों के जन आंदोलन को समर्थन देने का निर्णय किया।