प्रत्येक क्रिया की उसके बराबर तथा उसके विरुद्ध दिशा में प्रतिक्रिया होती है. स्थूल रूप से विचार करने पर यह नियम असंभव जान पड़ता है; लेकिन यदि हम इसपर ध्यानपूर्वक विचार करें तो इसकी सत्यता स्पष्ट होगी. हम जिस वस्तु को जितने बल से खींचते हैं, वह वस्तु भी हमें उतने ही बल से अपनी ओर खींचती है, फर्क है केवल दिशा में. जितनी जोर से हम जमीन पर अपना पैर पटकते हैं, उतनी ही अधिक हमें चोट लगती है अर्थात् जितनी जोर से हम जमीन को नीचे की ओर दबाते हैं उतनी ही जोर से पृथ्वी हमें ऊपर की और ठेलती है. जितनी जोर से हम गेंद को पटकते हैं उतना ही ऊपर यह उछलता है. वस्तु को खींचना, जमीन पर पैर पटकना, गेंद को जमीन पर गिराना आदि क्रियाएँ हैं. वस्तु का विपरीत दिशा में खींचना, पैर में चोट लगना तथा गेंद का ऊपर दिशा में जाना आदि प्रतिक्रियाएँ हैं. अतः न्यूटन का प्रस्तुत तीसरा नियम क्रिया-प्रतिक्रिया (Law of action and reaction) भी कहलाता है. यदि हम टेबल पर किताब रखते हैं तो जितने जोर से किताब टेबल को नीचे की ओर दबाती है उतना ही टेबल किताब को ऊपर की ओर उठाता है. जब कोई बालक अपने हाथ में किताब रखता है तो जितनी भारी किताब होती है, उसे अपने हाथ में सम्हाले रखने के लिए उतना ही बल लगाना पड़ता है. यदि इसे ऊपर उठाना पड़ता है तो पुस्तक के भार से अधिक बल लगाने की आवश्यकता होती है. न्यूटन का यह नियम सभी समयों तथा सभी अवस्थाओं में लागू है, भले ही वस्तुएँ स्थिर या गतिशील हों या निकट या दूर हों.