# सन् 1900 में, प्लैंक ने धारणा दी कि ऊर्जा अलग-अलग इकाइयों या क्वांटा से बना है। # सन् 1905 में, अल्बर्ट आइंस्टीन ने सिद्धांत दिया कि न केवल ऊर्जा, बल्कि विकिरण भी इसी तरीके से क्वाण्टीकृत (quantized) होता है। # सन् 1924 में, लुई डी ब्रोगली ने प्रस्तावित किया कि ऊर्जा और पदार्थ के व्यवहार में कोई मौलिक अंतर नहीं है; परमाण्विक (atomic) और उप परमाण्विक (sub-atomic) स्तर पर पदार्थ या तो कणों या तरंगों के रूप में व्यवहार कर सकते हैं। # सन् 1927 मे हाइजनबर्ग ने बताया कि किसी गतिशील सूक्ष्म कण की स्थिति (position) एवं संवेग (momentum) का एक साथ यथार्थ रूप से (precisely) निर्धारण संभव नहीं है। अगर स्थिति का निर्धारण कर लिया गया तो संवेग में अनिश्चितता (uncertainty) रहेगी और अगर संवेग का निर्धारण कर लिया गया तो इस स्थिति में अनिश्चितता रहेगी। इसे हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता सिद्धांत कहा गया।