न्यूटन के पहले नियम (first law of Newton) से बल की सामान्य परिभाषा का ज्ञान हमें हो जाता है; लेकिन बल का परिमाण (measurement) हमें नहीं मिलता. न्यूटन के दूसरे नियम में हमें बल का परिमाण या दो बलों का तुलनात्मक ज्ञान सहज ही प्राप्त होता है. इस नियम की व्याख्या करने के पहले हम आवेग (Momentum) का विवेचन करेंगे. आवेग (Momentum) :–>> हम अनुभव से जानते हैं कि गतिशील वस्तु के सामने रुकावट डालने से हम धक्के का अनुभव करते हैं. निश्चल इंजन भयावह नहीं है परन्तु गतिमान इंजन भारी वस्तुओं को रौंदती हुई निकल जाती है. जो वस्तु जितनी ही गतिशील होती है उसको रोकने में उतना ही अधिक धक्के का अनुभव हमें होता है. बन्दूक की गोली से तीव्र आघात, गोली के तीव्र वेग के कारण ही होता है. मंद हवा सुखदायी होती है, लेकिन वायुस्थित धुल-कणों में तीव्र गति हो जाने के कारण आँधी के रूप में वायु अधिक विनाशकारी होती है. अनुभव से हम यह भी जानते हैं कि समान गति से चलनेवाली दो वस्तुओं में, हमें उसे रोकने में अधिक धक्का लगता है या बल लगाना पड़ता है, जिसकी मात्रा अधिक रहती है. इस प्रकार यदि हमें दो वस्तुओं में समान वेग उत्पन्न करना हो तो हमें उस विशेष वस्तु में अधिक बल लगाना पड़ता है, जिसकी मात्रा अपेक्षाकृत अधिक रहती है. एक साधारण चोट से पत्थर की गोली बहुत दूर चली जाती है; लेकिन इतनी ही चोट से लोहे के बड़े गोले पर कोई असर नहीं पड़ता, यह अपने स्थान पर बना रहता है.