विदेशों में क्रांतिकारी गतिविधियों में गदर पार्टी विशेष रूप से उल्लेखनीय है. इसकी स्थापना लाला हरदयाल ने की थी. 1911 ई. में वह कैलिफ़ोर्निया पहुँचे. 1912 ई. में उन्होंने एक परचा निकाला जिसमें हार्डिंग पर हमले को उचित ठहराया गया था. उन्होंने 10 मई, 1913 ई. को भारतीयों की सभा की जिसमें भारत में गदर (क्रांति) कराने के लिए गदर पार्टी की स्थापना की गई. लाला हरदयाल शायद आधुनिक पीढ़ी लाला हरदयाल के सम्बन्ध में अधिक नहीं जानती हो क्योंकि अंग्रेजी सरकार उनके तेज को देर तक नहीं सह सकी और उन्हें बहुत जल्दी देश छोड़कर चले जाना पड़ा. जितने दिन वह देश में रहे, उग्र क्रांति के केंद्र बने रहे और विदेश जाकर भी जब तक जिए राष्ट्र की चिंता और सेवा में लगे रहे. उनका पंजाब के नवजीवन के निर्माण में विशेष हाथ था. लाला हरदयाल बहुत ही मेधावी छात्र रहे थे. अंग्रेजी भाषा पर उनका ऐसा प्रभुत्व था कि कई पर्चों में उन्हें पूरे-पूरे अंक प्राप्त हुए थे. लाला हरदयाल को विश्वास हो गया था कि अग्रेज लोग हिन्दुओं के चरित्र का नाश कर रे हैं, उनकी शिक्षा सम्बन्धी नीति और तरीके हिंदुत्व को क्षीण करने और उनकी सामाजिक चेतना और राष्ट्रीय व्यक्तित्व का नाश करके जाति की राजनीतिक दासता को लम्बायमाँ करने वाले हैं. लाला हरदयाल की प्रतिभा तो चमत्कारपूर्ण थी ही. थोड़े ही समय में उनकी ख्याति अमेरिका के विश्वविद्यालयों में फ़ैल गई और कई अमेरिकन विद्वान् उनके भक्त बन गये. वहाँ के कई समाचार पत्रों ने उन्हें “हिन्दू ऋषि” की उपाधि दे दी. एक साप्ताहिक समाचार-पत्र “गदर” निकालने तथा उसे मुफ्त बाँटने का भी निर्णय लिया गया. छापाखाने का नाम “युगांतर आश्रम प्रेस” रखा गया. गदर पत्रिका अंग्रेजी में प्रकाशित होती थी तथा इसका अनुवाद कई भाषाओं (हिंदी, उर्दू, पंजाबी और गुजराती) में होता था. इसके संपादक बा. गोविन्द बिहारीलाल थे. यह समाचार पत्र चीन, जापान, सिंगापुर, जर्मनी, फ्रांस, इंग्लैंड, अमेरिका, कनाडा, बर्मा और अन्य उन देशों में जहाँ-जहाँ भारतीय रहते थे भेजा जाता था. यह पत्र भारतवासियों को जोरदार भाषा में राज्य क्रान्ति करने के लिए ललकारता था. अनेक रुकावटों के होते हुए भी यह पत्र खुले या गुप्त रूप में उन सभी देशों में पहुँच जाता था जहाँ भारतवासी रहते थे. जो देशभक्त उस पार्टी की स्थापना के समय उपस्थित थे, उनके नाम ये हैं – 1) पं. जगतराम 2) सरदार करतार सिंह 3) सरदार सिंह डक्की 4) रूढसिंह बिज्जल 6) श्री तारकनाथ दास 7) बा. गोविन्दबिहारी लाल