1857 ई. के विद्रोह के अनेक कारण थे - # राजनीतिक कारण लार्ड डलहौजी ने देशी राज्यों को कंपनी के अधीनस्थ शासन क्षेत्रो में मिलाने की नीति को अपनाया। उससे धीरे-धीरे देशी राजे सशंकित होकर विद्रोह करने के लिए संगठित होने लगे। इसके अतिरिक्त अंग्रेजों ने भारतीयों को शासन से अलग रखने की नीति को अपनाया। सामाजिक कारण देशी राज्यों के क्षेत्रों में हड़पने की नीति के चलते राज दरबार पर आजीविका के लिए आधारित व्यक्तियों की आर्थिक स्थिति पर बहतु बुरा प्रभाव पड़ा। देशी राज्यों के सहयागे पर आधारित उद्योग दस्तकारियों और अन्य निजी व्यवसायों को गहरा धक्का पहुँचा। साधारण जनता में भी असंतोष फैलने लगा क्योंकि अंग्रेजों ने जातीय विभेद की नीति को अपनाकर उनकी भावना पर गहरी चोट पहुँचायी। # धार्मिक कारण अंग्रेजों की सुधारवादी नीति ने हिन्दुओं और मुसलमानों की धामिर्क भावनाओं को गहरा ठासे पहुँचाया। उदाहरणस्वरूप सती प्रथा का अंत, विधवाओं का पुनर्विवाह, ईसाइयो द्वारा धर्म प्रचार आदि घटनाओं ने कट्टर धर्मावलम्बियों को सशंकित बना दिया। लोगों को यह महसूस होने लगा कि भारतीय धर्मों का कुछ दिनों में नामाेि नशान मिट जायगा तथा संपूर्ण भारत में ईसाइर् धर्म फलै जायेगा। अंग्रेजों ने भी भारतीय संस्कृति को मिटा देना ही राजनीतिक दृष्टिकोण से लाभप्रद समझा क्योंकि इससे भारतीयों के हृदय से राष्ट्रीय स्वाभिमान तथा अतीत के गौरव की भावना का अंत हो जायगा। लेकिन अन्य उपनिवेशों के विपरीत अंग्रेज यह भूल गये थे कि भारतीय संस्कृति तथा धामिर्क श्रेष्ठता इतनी प्राचीन और महान थी कि उसे सहसा दबा सकना असंभव था। # सैनिक कारण अंग्रेजों की सेना में भारतीय सैनिकों की बहुतायत थी। कुछ छावनियों की सेनाओं में दृढ़ एकता पाई जाती थी। दूसरी ओर सैनिक अनुशासन बहुत ढीलाढाला था। सैनिकों में कई कारणों से असंतोष की भावना व्याप्त थी। चर्बी वाले कारतूसो के प्रयागे के विरूद्ध सैनिकों ने हथियार उठा लिये। क्रांति का मुख्य दायित्व भारतीय सेना पर था। जहाँ-जहाँ सैनिकों का सहयोग मिला, क्रांति की लहर दौड़ गई।