चोल काल के अभिलोखो से ज्ञात होता हैं की उनकी शासन व्यवस्था बहुत अच्छी थी. राजा प्रत्येक कार्य में अपने मंत्रियो की सलाह लेता था. शासन व्यवस्था में सबसे बड़ा अधिकारी राजा होता था. पूरा राज्य जिला, गाँव समूह, और गाँव में बटा हुआ था. शासन जनता से लिए सुझावों के आधार पर चलता था. इसके लिए सभाओ का आयोजन किया जाता था. राजा अपने साथ युवा राजकुमार को रखता था. और कम उम्र में ही शासन की सारी शिक्षा देता था. चोल शासको ने अनेक मंदिरों का निर्माण कराया था. जिसमे तंजौर का मंदिर उल्लेखनीय है. इसके साथ व्यवस्थित और सुसंयोजित राजमार्ग थे. कृषि के लिए सिंचाई की उत्तम व्यवस्था पुरे राज्य में थी. चोल काल में विभिन्न धातु और पाषण की मूर्तियों का निर्माण हुआ था. इस काल की मुर्तिया आज भी संजीव प्रतीत होती है.