1. आर्द्र उष्णकटिबंधीय वन: A) इस प्रकार के वन पश्चिमी घाट, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के साथ दक्षिणी भारत में पाए जाते हैं। B) इस प्रकार के वन 200 सेमी. से अधिक वार्षिक वर्षा और 22 डिग्री सेल्सियस से अधिक औसत वार्षिक तापमान वाले गर्म और आर्द्र क्षेत्रों में पाए जाते हैं। C) इन वनों में 60 मीटर या उससे अधिक ऊँचाई वाले वृक्ष पाए जाते हैं। D) इस प्रकार के वनों में वृक्षों से पत्तों के गिरने, फूल और फल लगने का कोई निश्चित समय नहीं है; ये वन वर्ष भर हरे-भरे रहते हैं। D) इन वनों में पाई जाने वाली प्रजातियों में रोजवुड, महोगनी, ऐनी, इबोनी आदि शामिल हैं। E) यहाँ सामान्य तौर पाए जाने वाले वृक्षों में कटहल, सुपारी, जामुन, आम और होलक शामिल हैं। 2. अर्द्ध-सदाबहार वन : A) इस प्रकार के वन उस क्षेत्र की कम वर्षा वाले भागों में पाए जाते हैं जहाँ आर्द्र-सदाबहार वन पाए जाते हैं जैसे-पश्चिमी घाट, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा पूर्वी हिमालय। B) इन वनों में आर्द्र सदाबहार तथा आर्द्र पर्णपाती वृक्षों का मिश्रण पाया जाता है। C) न्यून पर्वतारोहण गतिविधियाँ इन वनों को सदाबहार चरित्र प्रदान करती हैं। D) इन वनों की मुख्य प्रजातियाँ सफेद देवदार, होलॉक और कैल हैं। 3. शुष्क-सदाबहार वन: A) इस प्रकार के वन उत्तर दिशा में शिवालिक पहाड़ियों और हिमालय की तलहटी में 1000 मी. की ऊँचाई तक पाए जाते हैं। B) ये दक्षिण में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। C) इस क्षेत्र में सामान्यतौर पर दीर्घकालीन ग्रीष्म ऋतु और शुष्क मानसून तथा भीषण ठंड पड़ती है। D) यहाँ मुख्यतः सुगंधित फूलों के साथ कठोर पत्तों वाले सदाबहार वृक्ष हैं, साथ ही कुछ पर्णपाती वृक्ष भी पाए जाते हैं। E) यहाँ के वृक्ष पालिशदार (varnished) होते है। F) अनार, जैतून और ओलियंडर कुछ अधिक सामान्य हैं। यहाँ सामान्य तौर पाए जाने वाले वृक्षों में अनार, जैतून और ओलियंडर शामिल हैं।