ये forest अक्सर उन्हीं क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ 150 cm. से ज्यादा वर्षा होती है. तापमान का भी 15-30° Celsius तक होना अनिवार्य है. ये वन उत्तर-पूर्वी भारत, पश्चिमी घाट के कुछ भागों, हिमालय के निम्नश्रेणी जैसे भाबर (foothills), अंडमान-निकोबार द्वीप समूह आदि में पाए जाते हैं. ऐसा देखा गया है कि जिन प्रदेशों में औसत वार्षिक 250 cm. से अधिक वर्षा होती है, उन क्षेत्रों के जंगल सघन होते हैं. इन क्षेत्रों में जो वरिश पाए जाते हैं, उनके पत्ते प्रतिवर्ष नियमित रूप से नहीं झड़ते और इसी के कारण ये सदाबहार वन कहलाते हैं. इन forests में पाई जाने वाली कुछ प्रमुख प्रजातियाँ हैं – सफ़ेद देवदार, बेंत. मुली, बाँस, चपलास (chaplas), गर्जन (gurjan) आदि. बीहड़ स्थानों में (दुर्गम) होने के कारण इन वनों का पूरी तरह से प्रयोग नहीं हो पाता है. वे प्रदेश जहाँ वर्षा 200-250 cm के बीच पाई जाती है, वहाँ के forest अर्ध सदाबहार वन कहलाते हैं. ये पश्चिम घाट, असम के ऊपरी इलाकों या हिमालय के ढालों और उड़ीसा में पाए जाते हैं.