झेलम नदी (Jhelum River) उत्तरी भारत में बहने वाली एक नदी है। इस नदी का वैदिक कालीन नाम 'वितस्ता' था। इस नाम के कालान्तर में कई रूपान्तर हुए, जैसे- पंजाबी में 'बिहत' या 'बीहट', कश्मीरी में 'व्यथ', ग्रीक भाषा में 'हायडेसपीज़' (Hydaspes) आदि। संभवत: सर्वप्रथम मुसलमान इतिहास लेखकों ने इस नदी को 'झेलम' कहा, क्योंकि यह पश्चिमी पाकिस्तान के प्रसिद्ध नगर झेलम के निकट बहती थी और नगर के पास ही नदी को पार करने के लिए शाही घाट या शाह गुज़र बना हुआ था। झेलम नगर के नाम पर नदी का वर्तमान नाम प्रसिद्ध हो गया। झेलम नदी का जो प्रवाह मार्ग प्राचीन काल में था, प्राय: अब भी वही है; केवल चिनाव-झेलम संगम का निकटवर्ती मार्ग काफ़ी बदल गया है। यह नदी हिमालय के शेषनाग झरने से प्रस्फुटित होकर कश्मीर में बहती हुई पाकिस्तान में पहुंचती है और झांग मघियाना नगर के पास चिनाब में समाहित हो जाती है। झेलम 2,130 किलोमीटर तक प्रवाहित होती है। नैसर्गिक सौंदर्य की अनुपम कश्मीर घाटी का निर्माण झेलम नदी द्वारा ही हुआ है। कश्मीर जाने वाले पर्यटकों को झेलम नदी के किनारे पर लगे हुए हाउस बोटों की पंक्ति, जिनमें बड़ी-बड़ी वुडकट एवं पेपर मैशी की दुकानें भी शामिल हैं, आकर्षित करती हैं। इसके साथ ही उसके वक्ष स्थल पर मस्ताचाल में तैरते हुए हंसों की कतार के समान शिकारों की पंक्तियाँ भी सम्मोहित कर लेती हैं। किशनगंगा झेलम की सहायक नदी है। यह नदी जम्मू व कश्मीर के सोनमर्ग शहर के पास स्थित किशनसर झील से शुरू होती है और उत्तर को चलती है, जहाँ बदोआब गाँव के पास द्रास से आने वाली एक उपनदी इसमें मिल जाती है। फिर यह कुछ दूर तक नियंत्रण रेखा के साथ-साथ चलकर गुरेज़ के पास पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र में दाख़िल हो जाती है। वहाँ से पश्चिम की तरफ़ बहकर यह मुज़्ज़फ़राबाद के उत्तर में झेलम नदी में जा मिलती है। इसके कुल 245 कि.मी. के मार्ग में से 50 कि.मी. भारतीय नियंत्रण वाले इलाक़े में आता है और शेष 195 कि.मी. पाक-अधिकृत कश्मीर में।