भारत सरकार के सहयोग से बिहार तथा उत्तर प्रदेश की संयुक्त परियोजना गंडक नदी परियोजना है. 1959 ई. के समझौते के आधार पर नेपाल को भी इसका लाभ दिया जा रहा है. इस परियोजना के अन्तर्गत वाल्मीकि (बिहार) में बाँध का निर्माण त्रिवेणी घाट नामक स्थान पर 1969-70 ई. में किया गया. बाँध का आधा भाग बिहार में तथा आधा भाग नेपाल में है. इस परियोजना के अंतर्गत दो प्रमुख नहरों का निर्माण किया गया है – गंडक परियोजना के अन्तर्गत दो और नहर पूर्वी नेपाल नहर और पश्चिमी नेपाल नहर स्थित हैं, लेकिन दोनों नहर नेपाल में स्थित है. पश्चिम नेपाल नहर पर ही नेपाल में सूरजपुरा में जल विद्युत केंद्र स्थापित है जबकि पूर्वी नेपाल नहर पर वाल्मीकि नगर में जल विद्युत केन्द्र स्थापित है. इन दोनों जल विद्युत केन्द्रों की उत्पादन क्षमता 15-15 मेगावॉट है # पूर्वी त्रिवेणी नहर # पश्चिमी त्रिवेणी नहर पूर्वी त्रिविणी नहर जिसे तिरहुत नहर भी कहते हैं, की कुल लंबाई 293 किलोमीटर है. इस प्रणाली से 6.6 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई होती है. इस नहर से पूर्वी चम्पारण, पश्चिम चम्पारण, मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर आदि जिलों में सिंचाई होती है. इस नहर से सर्वाधिक लाभ प्राप्त करने वाला जिलों पश्चिमी चम्पारण है. पश्चिमी त्रिवेणी नहर की कुल लम्बाई 200 किलोमीटर है, जिसका नेपाल में 19 किलोमीटर, उत्तर प्रदेश में 112 किलोमीटर तथा बिहार में 69 किलोमीटर भाग है. इस नहर को सारण नहर भी कहते हैं क्योंकि इससे सिंचित जिले सारण प्रमण्डल के गोपालगंज, सारण, सीवान हैं. इस नहर प्रणाली से 4.84 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई होती है.