बिहार की प्रथम वृहद सिंचाई परियोजना सोन परियोजना का निर्माण 1874 ई. में डेहरी के पास बारून नामक स्थान पर बाँध बनाकर किया गया था. इस बाँध की लंबाई 3801 मीटर तथा ऊँचाई 2.44 मीटर है. यह सिंचाई परियोजना बिहार के सबसे सूखाग्रस्त क्षेत्र दक्षिणी-पश्चिमी बिहार को सिंचित करने के लिए बनायी गई थीजिसका लाभ भी प्राप्त हुआ है. वर्तमान समय में यह क्षेत्र बिहार का अन्न भण्डार बन चुका है. 1968 ई. में इन्द्रपुरी में 14010 मीटर लंबे एक बैराज का निर्माण किया गया. डेहरी के पास से सोन नदी से दो नहरें निकाली गयी है – पूर्वी सोन नहर पश्चिमी सोन नहर पूर्वी सोन नहर जिसकी कुल लंबाई 130 किलोमीटर है. यह बारून से निकलकर पटना तक जाती है! इस नहर से लगभग 2.5 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई होती है. इस नहर द्वारा औरंगाबाद, गया, जहानाबाद, अरवल और पटना जिलों में सिंचाई होती है. पश्चिमी नहर सोन नहर डेहरी के पास से निकलती है. इस नहर से रोहतास, कैमूर, बक्सर, भोजपुर आदि जिलों में सिंचाई होती है. पश्चिमी नाहर द्वारा लगभग 3 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि पर सिंचाई की जाती है. सों नाहर प्रणाली पर 2 जल विद्युत् केंद्र स्थापित किये गये हैं – डेहरी जल विद्युत् केंद्र – 6.6 मेगावॉट बारुन जल विद्युत् केंद्र – 3.3 मेगावॉट