यह भारत और नेपाल सरकार की संयुक्त परियोजना है. इस योजना के निर्माण के लिए 1954 में नेपाल के साथ समझौता किया गया, जिसमें 1961 ई. में संशोधन किया गया. इसका निर्माण कार्य 1955 ई. में प्रारंभ किया गया था तथा 1963 ई. में बनकर तैयार हुई. इस परियोजना के निर्माण का मुख्य उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन, मलेरिया उन्मूलन, भूमि संरक्षण आदि है. कोसी नदी चतरा गार्ज के पास पर्वत को काटकर मैदान में प्रवेश करती है. इस नदी पर अनेक बाँध एवं तटबंध निर्मित हैं जिनसे अनेक नहरें निकाली गयी हैं. हनुमान नगर (नेपाल), जो बिहार की सीमा पर स्थित है, में कक्रीट बाँध का निर्माण किया गया है. इस बाँध की लंबाई 1140 मीटर है. कोसी नहर से दो प्रमुख नहर प्रणाली विकसित की गयी हैं – #पूर्वी कोसी नहर प्रणाली #पश्चिमी कोसी नहर प्रणाली kosi nadi pariyojana पूर्वी कोसी नहर प्रणाली में मुख्य नहर की लंबाई 44 किलोमीटर है. इसकी 4 शाखाएँ हैं- मुरलीगंज नहर, लंबाई — 64 किलोमीटर जानकीनगर नहर, लंबाई — 82 किलोमीटर पूर्णिया (बनमंखी) नहर, लंबाई — 64 किलोमीटर अररिया नहर, लंबाई — 52 किलोमीटर पूर्वी कोसी नहर प्रणाली की इन शाखाओं से नेपाल एवं बिहार के मधेपुरा, सहरसा, पूर्णिया, कटिहार आदि जिलों में सिंचाई की जाती है. पूर्वी कोसी नहर पर कटैया में 20 मेगावॉट विद्युत उत्पादन का केन्द्र स्थापित है. पूर्वी नहर प्रणाली से 5 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है. पश्चिमी कोसी नहर प्रणाली– इस नहर की लंबाई 115 किलोमीटर है. इस नहर से मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर आदि जिलों में सिंचाई की जाती है. इस नहर प्रणाली से 3.25 लाख भूमि पर सिंचाई कार्य किया जाता है.