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प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध (1772 ई. से 1784 ई.)

Filed under: History Ancient History on 2021-07-21 18:36:29
1761 ई. में पनीपत के तृतीय युद्ध के कुछ समय बाद ही पेशवा बालाजी बाजीराव की मृत्यु हो गयी। उसके पशचात् उसका पुत्र माधवराव पेशवा बना। उसने थोड़े समय में ही मराठा शक्ति ओर साम्राज्य को पुन: बढ़ा लिया और महादजी सिंधिया ने मुगल सम्राट शाहआलम को अंग्रेजों के संरक्षण से हटाकर मराठों के संरक्षण में ले लिया तथा दिल्ली पर मराठा प्रभुत्व स्थापित कर लिया। पेशवा माधवराव की मृत्यु के बाद उसका छोटा भाई नारायण राव पेशवा बना, पर उसके चाचा राधोबा ने उसका वध कर दिया। इसका विरोध नाना फड़नवीस ने किया और उसने नारायण के पु़त्र सवाई माधवराव को पेशवा घोशित कर दिया। इस पर राघोबा ने नाना फड़नवीस और सवाई माधवराव के विरूद्ध अंग्रेजों से सैनिक सहायता माँगी। फलत: अंग्रेजों और मराठों में युद्ध प्रारभं हो गया।

अंग्रेजों और मराठों के मध्य हुए युद्ध में प्रारंभ में मराठों की विजय हुई पर अंत में उन्हें सिंधिया की मध्यस्थता से पूना दरबार और अंग्रेजों के बीच संधि हो गयी। यह सालबाई की संधि कहलाती है। इसके अनुसार सालसिट और थाना दुर्ग अंग्रेज को मिले। पूना दरबार की और से रघुनाथराव (राघोबा) को पेंशन दे दी गयी। इस संधि का यह महत्व है कि आगामी बीस वर्शो तक अंग्रेजों और मराठों के मध्य शांति बनी रही।
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Radhika Singh     View Profile
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