हरित क्रांति का सबसे बड़ा प्रभाव कृषि के दृष्टीकोण पर पड़ा हैं. अब लोग व्यावसायिक कृषि के बारे में सोचने लगे थे. हरित क्रांति के फलस्वरूप पुरे देश में विभिन्न फसल जैसे मक्का, गन्ना, बाजरा इत्यादि की प्रति हेक्टेअर उत्पादन और कुल उत्पादन में बढ़ी मात्रा में वृद्धि आई हैं. इसी प्रकार से हरित क्रांति के अन्य अनेक लाभ हुए हैं. यह लाभ निम्नलिखित हैं: 1. हरित क्रांति के फलस्वरूप रासायनिक उर्वरको के उपयोग में बड़े स्तर पर वृध्दि आई हैं. जहा कही सन 1960 में रासायनिक उर्वरक प्रति हेक्टेयर 2 किलोग्राम उपयोग किया जाते थे. वही बढ़ कर 2008 में 128 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गया था. 2. हरित क्रांति के अंतगर्त नई कृषि विकास विधि से सिचाई की सुविधाओं में तेजी से विस्तार किया गया. जहा आजादी के पश्चात् देश में कुल सिंचाई क्षमता 223 लाख हेक्टेयर थी. वही सन 2008 में सिंचाई क्षमता बढ़ कर 1073 लाख हेक्टेयर हो गई थी. 3. हरित क्रांति के दौरान नई कृषि विकास विधि में पौध सरक्षण पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया. तथा इसके अलावा कीटनाशक दवाओ का छिड़काव किया गया. 4. बहुफसली कार्यक्रम के तहत एक ही जगह पर एक से अधिक फ़सल लगा कर उत्पादन को बढ़ाया गया. सन 1966 में 36 लाख हेक्टेयर भू-भाग पर बहुफसली कार्यक्रम चालू किया गया. जो बढ़कर आज वर्तमान में भारत के कुल सिंचित भू-भाग के 70% भाग पर लागु हैं. 5. हरित क्रांति में पुराने और पारंपरिक यंत्रो के स्थान पर आधुनिक कृषि यंत्रो का इस्तेमाल बढ़ा हैं. जिससे व्यय और श्रम में काफ़ी मात्रा में कमी देखने को मिली हैं. 6. इसके अंतगर्त सन 1963 में “राष्ट्रिय बीज निगम” की स्थापना की गई थी. तथा इसी साल “राष्ट्रिय सहकारी विकास निगम” की स्थापना की गई. जिसका उद्देश्य कृषि उपज का भंडारण, प्रसंस्करण और विपणन करना हैं. राष्ट्रिय बीज परियोजना का आरंभ किया गया. जिसके अंतगर्त बहुत सारे नए बीज निगम बनाए गए. राष्ट्रिय कृषि एंव ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना की गई. जिनका कार्य कृषि से जुड़े कार्यो के लिए वित्त प्रबन्धन करना हैं.