भारत एक कृषि प्रदान देश हैं. आजादी के पश्चात् देश को कृषि उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने अनेक प्रयास किए और वर्तमान में भी कर रही हैं. जिसमे से एक उल्लेखनीय कार्य हरित क्रांति हैं. हरित क्रांति से पुरे देश में कृषि की तकनीक का आधुनिकरण किया गया. जिससे पुरे देश में खाद्य प्रदार्थ के उत्पाद में रिकॉर्ड तोड़ पैदावर की गई. इस आर्टिकल में हम हरित क्रांति के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेगे. हरित क्रांति से तात्पर्य पुरे विश्व में खेती में आए सुधार से हैं. इसका काल 1940 से 1960 के बिच माना जाता हैं. हरित क्रांति के दौरान कृषि के क्षेत्र में तकनीक, शोध और उच्च गुणवत्ता के बीजों का इस्तेमाल करके पुरे विश्व में खाद्य उत्पादन बढ़ाया गया. हमारे देश भारत में हरित क्रांति की शुरुआत 1966 में हुई थी. हरित क्रांति के जनक नौरमन बोरलोग थे. तथा उनके नेतृत्व में ही सम्पूर्ण विश्व के देशों में और विशेष रूप से विकासशील देशों में खाद्य उत्पाददोन में आत्मनिर्भरता लाई गई थी. हमारे देश में उस समय के कृषि एंव खाद्य मंत्री बाबू जगजीवन राम को हरित क्रांति का प्रणेता माना जाता हैं. हरित क्रांति के फलस्वरूप ही हमारे देश में 1960 के दशक में पारंपरिक खेती की विधि के बदले आधुनिक खेती को अपनाया गया था. इसी समय पहली बार खेती को एक व्यवसाय के रूप में देखा गया था. कृषि में बड़े स्तर पर तकनीक और उच्च गुणवत्ता वाले बीजों के इस्तेमाल से कम समय में रिकॉर्ड उत्पादन होने से हर कोई हरित क्रांति के परिणामो से अचंभित था.