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81) जैन धर्म का आधारभूत बिंदु क्या है?
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81) जैन धर्म का आधारभूत बिंदु क्या है?
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82) जियो और जीने दो’ किसने कहा?
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83) अशोकाराम विहार निम्नलिखित में से किस स्थान पर स्थित था?
Explanation:
अशोकाराम महावंश के अनुसार पाटलीपुत्र में अशोक द्वारा निर्मित विहार था।
इस विहार का निरीक्षण इन्द्रगुप्त नामक थेर भिक्षु के निरीक्षण में हुआ था।
यहीं तीसरी बौद्ध संगीति (सभा) अशोक के समय में हुई थी।
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84) भारत से दक्षिण की ओर के देशों में बौद्ध धर्म का कौन-सा सम्प्रदाय प्रचलित हुआ?
Explanation:
हीनयान बौद्ध सिद्धांत की आदि और प्राचीन शाखा जिसके ग्रंथ पाली भाषा में हैं । विशेष—इस शाखा का प्रचार एशिया के दक्षिण भागों में, सिंहल, बरमा और स्याम आदि देशों में है, इसी से यह 'दक्षिण शाखा' के नाम से भी प्रसिद्ध है । 'यान' का अर्थ है निर्वाण या मोक्ष की ओर ले जानेवाला रथ ।
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85) स्यादवाद सिंद्धांत है।
Explanation:
'स्यादवाद' का अर्थ 'सापेक्षतावाद' होता है। यह जैन दर्शन के अंतर्गत किसी वस्तु के गुण को समझने, समझाने और अभिव्यक्त करने का सापेक्षिक सिद्धांत है। 'सापेक्षता' अर्थात 'किसी अपेक्षा से'। अपेक्षा के विचारों से कोई भी चीज सत् भी हो सकती है और असत् भी।
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86) जातक किसका ग्रंथ है?
Explanation:
जातक या जातक पालि या जातक कथाएं बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक का सुत्तपिटक अंतर्गत खुद्दकनिकाय का १०वां भाग है। इन कथाओं में भगवान बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथायें हैं।
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87) बुद्धचरित जिसे बौद्धों का रामायण कहा जाता है के रचनाकार हैं।
Explanation:
बुद्धचरितम्, संस्कृत का महाकाव्य है। इसके रचयिता अश्वघोष हैं। इसकी रचनाकाल दूसरी शताब्दी है। इसमें गौतम बुद्ध का जीवनचरित वर्णित है। इस महाकाव्य का आरम्भ बुद्ध के गर्भाधान से तथा इसकी परिणति बुद्धत्व-प्राप्ति में होती है। यह महाकव्य भगवान बुद्ध के संघर्षमय सफल जीवन का ज्वलन्त, उज्ज्वल तथा मूर्त चित्रपट है। इसकी कथा का रूप-विन्यास वाल्मीकिकृत रामायण से मिलता-जुलता है।
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88) बौद्ध शिक्षा का केंद्र कहाँ था?
Explanation:
विक्रमशिला भारत का एक प्रसिद्ध शिक्षा-केन्द्र (विश्वविद्यालय) था। नालन्दा विश्वविद्यालय और विक्रमशिला दोनों पाल राजवंश के राज्यकाल में शिक्षा के लिए जगत्प्रसिद्ध थे। वर्तमान समय में बिहार के भागलपुर जिले का अन्तिचक गाँव वहीं है जहाँ विक्रमशिला थी। इसकी स्थापना ८वीं शताब्दी में पाल राजा धर्मपाल ने की थी। प्रसिद्ध पण्डित अतीश दीपंकर यहीं शिक्षण करते थे।
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89) महावीर की मृत्यु के बाद जैन संघ का अगला अध्यक्ष कौन हुआ?
Explanation:
सुधर्मन जैन तीर्थंकर महावीर स्वामी के बाद जैन संघ के अध्यक्ष नियुक्त हुए थे। जैन संघ के अध्यक्ष के रूप में सुधर्मन ने लगातार 22 वर्षों तक जैन धर्म की सेवा की थी। सुधर्मन महावीर स्वामी के प्रमुख ग्यारह अनुयायियों में से एक था।
जैन संघ की स्थापना स्वयं महावीर ने की थी। इस संघ में उन्होंने अपने ग्यारह प्रमुख अनुयायी को शामिल किया था। उनके ग्यारह निकटतम शिष्यों को गणधर अर्थात "समूह का प्रधान" कहा जाता था।
तीर्थंकर महावीर के जीवन काल में ही 10 गणधरों की मृत्यु हो गई थी, केवल एक गणधर 'सुधर्मन' ही जीवित रहा था।
महावीर की मृत्यु के पश्चात् उनके एकमात्र बचे गणधर सुधर्मन को जैन संघ का थेर बनाया गया।
सुधर्मन की महावीर स्वामी की मृत्यु के बीस वर्ष बाद मृत्यु हुई।
सुधर्मन की मृत्यु के बाद जम्बु संघ के प्रधान रहे, जो 44 वर्षों तक जैन धर्म की सेवा करते रहे।
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90) अनेकांतवाद निम्नलिखित में से किसका केंद्रीय सिद्धांत एवं दर्शन है?
Explanation:
अनेकांतवाद जैन दर्शन का सिद्धांत है। इसका अभिप्राय यह है कि संसार की प्रत्येक वस्तु विरुद्ध प्रतीत होने वाले अनंत कर्मों के भिन्न-भिन्न आशय हैं। वस्तु के संबंध में विभिन्न दर्शनों की जो विभिन्न मान्यताएँ हैं, अपेक्षाभेद एवं दृष्टिभेद से वे सब सत्य हैं।
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